Sunday, August 27, 2017

जानिये सौराष्ट्र के क्षत्रिय कारडिया राजपूतो के विषय में

जानिये सौराष्ट्र के क्षत्रिय कारडिया राजपूतो के विषय में

1) कारडिया राजपूत कौन है?

गुजरात में जब मुस्लिम शासन आया तब मुस्लिमो ने राजपूतो को अपने आधीन कर लिया था और राजपूतो पर कई सारे शर्ते रखी जो इस प्रकार थी-

1) राजपूत राजा अपना राज्य मुस्लिम शासक के आधीन चलाये और निश्चित समय पर मुस्लिम शासक को खंडनी भरे

2) राजपूत मुस्लिम धर्म अंगीकार करे

3)राजपूत अपनी बहन बेटी का मुस्लिमो के साथ ब्याह करवाये

मुस्लिम शासक के सामने कई राजा ने प्रजा के हित को ध्यान में रखते हुए गुजरात के ज़्यादातर राजाओ ने खंडनी भरनी स्वीकारी और न चाहते हुए भी राज्य मुस्लिम शासक के अधीन चलाया
क्योकि अगर राजा ऐसा न करते तो मुस्लिम शासक प्रजा पर इतने अत्याचार करते कि उसकी बर्बरता के विषय में हम अनुमान भी नहीं कर सकते।

यह राजाओ के वंशज आज गुजरात में गरासिया और दरबार से जाने जाते है ।

कुछ राजपूत मुस्लिम बन गए जिस से खुश हो कर मुस्लिम शासको ने उनको गरास में गाँव दिए और अपने आधीन बनाये । यह मुस्लिम गुजरात में "मोलेसलाम गरासिया" से जाने जाते है।

कुछ राजपूतो ने मुस्लिम शासको से भय के कारन अपनी बेटी और बहन भी ब्याही

सिंधव वंश के बारहठ जी लिखते है कि सब से पहला विवाह 51 की संख्या में हुआ जिसमे राजपूत कन्याये मुस्लिमो के साथ ब्याही गई

लेकिन इन सब में राजपूतो का एक ऐसा भी समूह था जो न तो मुस्लिम धर्म अंगीकार करना चाहता था न तो मुस्लिमो के आधीन होना चाहता था न तो अपनी बेटी-बहन  मुस्लिमो के साथ ब्याहना चाहता था।

यह राजपूतो का समूह अपना सब कुछ छोड़ कर खेत मजदूरी करने लगा और शुद्ध राजपूत बने रहे। यह बात कई इतिहासकारो ने भी लिखी है।  मुस्लिम शासक ने इनके ऊपर कर डाला और कर देने के कारण यह राजपूत समूह 'करदिया' संज्ञा से जानने लगा और बाद में करदिया का कारडिया हो गया।

2)कारडिया राजपूतो में राजपूतो के कितने वंश आते है?

राजपूतो के 36 मैसे 35 वंश कारडिया राजपूतो में आज भी देखने को मिलती है।

इसमें भी परमार वंश की बहुलता है। और परमार वंश की ज़्यादातर शाखाये मात्र और मात्र कारडिया राजपूत मैं ही है।

और मोरी, डोडिया, दहिमा, दहिया, तुअर, रहेवर, यादव-जादव,उमट, खेर जैसे कई राजपूत वंश केवल और केवल कारडिया राजपूत में ही है।

3) कारडिया राजपूतो का क्षेत्र

सौराष्ट्र के इन जिल्लो में कारडिया राजपूत का मूल खेत्र है

1)सुरेंद्रनगर
2)जूनागढ़
3)गीर सोमनाथ
4)भावनगर
5)बोटाद
6)राजकोट
7)अमरेली
8)अहमदाबाद का सुरेन्द्रनगर और भावनगर से जुड़ता हुआ धोलका और धन्धुका तक का क्षेत्र

इसमें भी सौराष्ट्र के गीर सोमनाथ जिले में कारडिया राजपूत की बहुलता बहुत है। क्योकि जब जब सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण हुए तब तब राजपुताना से राजपूतो के दल समय समय पर यहाँ आये और यही बस गए

यहाँ के कई सारे गाँव कारडिया राजपूतो से ही भरे पड़े है।

4) कारडिया राजपूतो की सामाजिक स्थिति

वर्त्तमान में कारडिया राजपूत गुजरात सरकार में 1994 से obc में है, लेकिन केंद्र सरकार में obc में नहीं है

लेकिन obc में होने से क्या यह राजपूत का मान सम्मान कम हो जाता है!?

नहीं,

क्योकि जिस प्रदेश का नाम काठी राजाओ के नाम से काठियावाड़ पड़ा वह काठी वंश आज गुजरात और केंद्र दोनों में obc में है,

इतिहास में शक्तिशाली राजवंश तोमर और रावत भी आज दिल्ली और उत्तराखंड में obc में है।

5) कारडिया राजपूतो की विवाह पद्धति

कारडिया राजपूतो में विवाह सम्पूर्ण वैदिक पद्धति से होता है। जिसमे वर वधु के घर विवाह यात्रा लेकर जाता है और वधु के घर पर ही मंगल फेरे होते है।

गुजरात के गरासिया दरबार राजपूतो में विवाह वेल प्रथा से होता है जिसमे वधु वर के घर आती है और मंगलफेरे लेती है। यह वेल प्रथा विवाह मुस्लिम शासक के समय से प्रचलित हुआ है और इसका  उल्लेख किसी भी शास्त्र में नहीं पाया जाता है।

यह जानकारी सही है, समय आने पर इसके प्रमाण भी दिए जायेंगे।

अब आप निर्णय करे की कारडिया राजपूत को आपको किस नज़र से देखना है।

जय भवानी
जय सोमनाथ